Monday, July 16, 2007

गुनाहों का देवता

मैं बहुत दिनों से सोच रहा था कि हिंदी में कभी कुछ लिखूं लेकिन यह सोच कर कि मैं टाईप कैसे कर पाउँगा कभी भी प्रयास नही किया...लेकिन गूगल ने ऐसा कुछ सोच रखा है पता ही नहीं था! इससे आसान भी कुछ हो सकता है...कह नही सकता.

हिंदी मेरी मातृभाषा है इसमें लिखने और पढने का जो रस है वो कभी कहीँ और नही आ सकता. कुछ दिनों पहले एक निकट मित्र के कहने पर मैंने एक पुस्तक पढी 'गुनाहों का देवता'।

ये तो निश्चयपूर्वक नही कह सकता कि धर्मवीर भारती हिंदी साहित्य के सबसे अच्छे लेखक हैं लेकिन सबसे अच्छों में से एक तो निश्चित ही हैं।

कहानी के बारे में क्या लिखूं । सबसे पहले कहानी कि पृष्ठभूमि उत्तर प्रदेश की है '70 के दशक कि मूलतः। कहानी लखनऊ के आस-पास ही घूमती है। कहानी ऐसी है कि एक बार शुरू करने के बाद समाप्त किया बिना आप रह नही पायेंगे।

कहानी तीन मुख्य किरदारों के इर्द-गिर्द घूमती है। ये हैं चंदन कपूर, सुधा और विनती। चंदन या चंदर सुधा के घर में रहकर उसके पिता, जो कि युनिवर्सिटी में प्रोफेसोर हैं, कि सहायता से पढ़ाई कर रहा है, सुधा के घर में ही रहता है। ज़ाहिर सी बात है कि वो सुधा के पिता के एहसानों तले दबा है। सुधा और चंदर बहुत अच्छे दोस्त है, सुधा चंदर को बहुत पसंद करती है पर किस रुप में और कितना, इतना समझने कि शक्ति उसमें आयी ही नही है। विनती सुधा के बुआ की लडकी है है जो सुधा के घर में रहने आती है।

मैं पुरी कहानी का वर्णन तो यहाँ नही कर सकता लेकिन कहानी अपने आप में बहुत सारे मार्मिक क्षणों को समाये है। इंसानी रिश्तों ताना-बाना कितना जटिल है, शायद यही समझाना लेखक का मूल उद्देश्य है। प्यार कितना सच्चा और पवित्र हो सकता है ये भी लेखक ने दिखाया है। काम-वासना या सेक्स पर भी लेखक ने prakash डालने की चेष्टा की है। कहानी के अंत में किसी निश्चित निष्कर्ष पर पहुंच पाना तो संभव ही नही है। ये तो पढने वाले कि मन में अनगिनत सवाल पैदा कर देता है जो बहुत समय तो सोचे के लिए मजबूर कर देंगे।

कहानी का अंत अत्यंत ही मार्मिक है। सच कहूं तो अंत के ३-४ पन्ने मुझसे पढे ही नही गए। सुधा, जिससे कहानी पढ़ते-पढ़ते किसी भी ह्रदय वाले मनुष्य को प्यार हो जाएगा, के दर्द कि अनुभूति ही ह्रदय को विकल कर देता है।

कहानी तत्कालीन समाज में स्थापित रूधिवाद पर भी प्रहार करती है। जातिवाद, प्रेम-विवाह है।

सबसे ज्यादा कहानी में किसी का मज़ाक तो चंदर का। वैसे मेरी समझ में उसने कभी कुछ गलता नही किया, वो तो अपने चरित्र को सोने से भी अधिक सुनहरा बनाना चाहता था, उस पराकाष्ठा पर पहुँचाना चाहता था जहाँ सिर्फ देवता ही पहुंच सके या पहुंच सकते हैं। लेकिन manusya तो मनुष्ये है ना। जब गिरा तो इतना नीचे कि रूक ही ना सका। कहानी का शीर्षक भी शायद इसी ओर है।

कहानी में सुधा के पिता का चरित्र भी बहुत कुछ बताता है। उस्नके अनुभाब उस्नको कहॉ से कहॉ ले जाते हैं। वही इन्सान जो सुधा कि शादी में घोर जातिवादी थे, कैसे विनती की शादी चंदर से कराने को इचापुर्वक तैयार हो जाते हैं। सुधा की शादी के समाया अगर उन्होने इतना अन्याय नही किया होता तो जाने कितनी ही ज़िन्दगिया बरबाद होने बच जाती ।जाने इससे सीख क्या मिलती है, कि जो सही है वही करो दुनिया अंत में मान ही जाती है या ना मने कम से कम इन ढकोसलों का कोई मतलब तो नही होता। वैसे कहानी के प्रसंग में सुधा के पिता को भी दोष देना उचित नही होगा।

पुनः बहुत सरे सवाल, अगर कहानी एकदम विपरीत दृष्टिकोण से लिखी गयी होती और प्रेम-विवाह में होने वाली समस्याओं को दिखाया होता तो कुछ और ही होता। कुछ कहा नही जा सकता।

जो भी हो ये कहानी एक बार पढने लायक तो जरूर ही है।

नोट: बहुत दिनों के बाद हिंदी में कुछ लिखने का प्रयास कर रह हूँ पाठक-गन क्षमा करेंगे। कुछ समय पहले छोटी बहन को हिंदी में एक पत्र लिखा था बहुत मुश्किल हुई थी देवनागरी लिखने में। बिल्कुल भी अभ्यास नही रहा अब।

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Monday, July 09, 2007

Business Plan


Does anybody know of a service, in which siting in one city, one can send something to other one in a different city. Of course, I am aware of something called Courier service, but something which you cannot send, like flowers or gifts like that.

I think there is a service like this, but don't know how to approach. In case you know, let me know. Else, I think it could be a good business plan :). It could be a great hit especially among love-birds :).

In an era of globalization, when people are living far away from each other and finding even harder to see each other very often, it could be a sweet way to let your love know of your passion. Just imagine, your girl is upset about your absence, and fortunately for you she is missing you. And then you get to know from the flower boy that he is going to knock the door, exactly at that moment you give a call to your love to open the door. She opens the door and a bouquet of red flowers with a sweet b'day card mentioning your name, sound pretty romantic, doesn't it? She may get overwhelmed...and guess what your love may even get intense :). Just be cautious, the flower boy doesn't get your share of kiss :P.

Jokes apart, but I really think, it can work. Service may come at premium but should be of very good standard and feel-good factor should be there.

Possible product, may be bouquet...


P.S. Don't mind my mention of 'My girl'. This post is from the point of view of a boy :).

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Tuesday, July 03, 2007

Revisiting your childhood


These days, I am reading 'Diary of a Young Girl', which I think everybody knows is about the life of a Jew girl Anne Frank spent during the horrific time of second world war. Despite the tragic end of this diary, what is very interesting that one can revisit her/his childhood, how a child sees the world.

It also gives us a lot of insight about the life and culture of western society of that time, should call Jew but I think it gives a general view. How they live life despite all those problems and still manage to enjoy. How the little girl educates herself, she reads a lot and a lot of other thinks. Her view on every one's nature is particularly good. How she falls in love...and how as a 14 year old gild, she tells her Dad, how her Dad reasons with her. Things which are still inconceivable in India.

Yet to finish. But overall the novel is really good.

To know more about Anne Frank use http://en.wikipedia.org/wiki/The_Diary_of_a_Young_Girl

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